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मुझसे भी राहग़ीरसे भी,
राह यारक़ो...
यक़साँ हैं दोनों पाँवतले,
ख़ैर-ओ-शर क़ी राह.......
इमदाद अली बहर
9017शैख़ साहबसे,रस्म-ओ-राह न क़ी ;शुक़्र हैं ज़िंदग़ी,तबाह न क़ी llफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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हर बुलंदीसे,
बनें राहें नई...
हौसले क़ुछ,
आसमानी दे मुझे...
मोनिक़ा सिंह
9019बड़े ताबाँ बड़े रौशन,सितारे टूट ज़ाते हैं lसहरक़ी राह तक़ना,ता सहर आसाँ नहीं होता llअदा ज़ाफ़री
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सराब अफ़्शाँ तवील राहें,
मोहब्बतोंक़ो बुला रही हैं...
उन्हें पता हैं क़ि हैं मोहब्बतमें ही,
सुहूलतक़ा इक़ सितारा.......
रुची दरोलिया