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21 August 2022

9016 - 9020 राहग़ीर शुक़्र बुलंद मोहब्बत सुहूलत राह शायरी

 

9016
मुझसे भी राहग़ीरसे भी,
राह यारक़ो...
यक़साँ हैं दोनों पाँवतले,
ख़ैर--शर क़ी राह.......
                      इमदाद अली बहर

9017
शैख़ साहबसे,
रस्म--राह क़ी ;
शुक़्र हैं ज़िंदग़ी,
तबाह क़ी ll
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

9018
हर बुलंदीसे,
बनें राहें नई...
हौसले क़ुछ,
आसमानी दे मुझे...
               मोनिक़ा सिंह

9019
बड़े ताबाँ बड़े रौशन,
सितारे टूट ज़ाते हैं l
सहरक़ी राह तक़ना,
ता सहर आसाँ नहीं होता ll
अदा ज़ाफ़री

9020
सराब अफ़्शाँ तवील राहें,
मोहब्बतोंक़ो बुला रही हैं...
उन्हें पता हैं क़ि हैं मोहब्बतमें ही,
सुहूलतक़ा इक़ सितारा.......
                                    रुची दरोलिया