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17 February 2020

5481 - 5485 रिश्ता बहाना क़ैद अनमोल शर्त वजह लिबास अमृत शरारतें साजिश शायरी


5481
जब रिश्ता नया होता हैं,
तो लोग बात करनेका बहाना...
ढ़ुढ़ते हैं और जब वही रिश्ता,
पुराना हो जाता हैं;
तो लोग दूर होनेका बहाना ढूढ़ते हैं...

5482
कुछ रिश्ते,
परिभाषाओंमें क़ैद नहीं होते;
पर होते,
बहुत ही अनमोल हैं...!

5483
शर्त थी रिश्तेको बचानेकी.
और यही वजह थी,
मेरे हार जाने की.......

5484
मत पहनाओ इन्हें,
शर्तोंका लिबास;
रिश्ते तो,
बिंदास ही अच्छे लगते हैं...!

5485
हर रिश्तेमें,
अमृत बरसेगा...
शर्त इतनी हैं कि,
शरारतें करो पर,
साजिशे नहीं.......