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28 May 2021

7561 - 7565 रूह दिल ज़िस्म जिंदगी लिबास अरमान हयात राज़ी मौत ज़हर शायरी

 

7561
ज़हरक़े असरदार होनेसे,
क़ुछ नहीं होता साहब...
ख़ुदा भी राज़ी होना चाहिये,
मौत देनेक़े लिये.......

7562
क़ौन क़हता हैं क़ि,
मौत आई तो मर ज़ाऊँगी...
मैं तो नदी हूँ,
समुंदरमें उतर ज़ाऊँगी.......

7563
क़ैद--हयात बंद--ग़म,
अस्लमें दोनों एक़ हैं...
मौतसे पहले आदमी,
ग़मसे नज़ात पाए क्यूँ.......
                                मिर्ज़ा ग़ालिब

7564
सुलग़ती जिंदगीसे,
मौत ज़ाये तो बेहतर हैं l
हमसे दिलक़े अरमानोंक़ा,
अब मातम नहीं होता...ll

7565
मौत ज़िस्मक़ी रिवायत हैं,
रूहक़ो बस लिबास बदलना हैं...!