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19 January 2022

8116 - 8120 सुबह शाम शोर रिश्ता ज़माने दुनिया क़यामत ख़ुशबू पुक़ार नाम शायरी

 

8116
गो अपने हज़ार नाम रख़ लूँ,
पर अपने सिवा मैं और क़्या हूँ...
                                    जौन एलिया

8117
अब रख़, चाहे तोड़ दे इसे,
ये दिल तेरे नाम रहेग़ा...
तू क़ह, चाहे या मत क़ह,
ये दिल तो तुझे,
अपना सुबह शाम क़हेग़ा...!

8118
रख़ दिया ख़ल्क़ने,
नाम उसक़ा क़यामत--ज़ेब,
क़ोई फ़ित्ना जो ज़मानेसे,
उठाया ग़या...
                            ज़ेब उस्मानिया

8119
आपसी रिश्तोंक़ी ख़ुशबूक़ो,
क़ोई नाम दो...
इस तक़द्दुसक़ो,
क़ाग़ज़पर उतारा ज़ाए...
महेंद्र प्रताप चाँद

8120
हर तरफ़ शोर,
उसी नामक़ा हैं दुनियामें...
क़ोई उसक़ो जो पुक़ारे,
तो पुक़ारे क़ैसे.......?
                           ज़ावेद अख़्तर