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10 February 2019

3896 - 3900 सोच ग़म रोऐं दीवार बात प्यार वज़ह परेशान वादा रात शायरी


3896
सोचता हूँ कि,
कुछ ऐसा लिख दूँ...
जिसे पढ़कर वो रोऐं भी ना...!
और रातभर सोयें भी ना.......!

3897
कल रात मैने अपने सारे ग़म,
कमरेकी दीवारपर लिख डाले;
बस फिर हम सोते रहे और...
दीवारे रोती रहीं.......

3898
आज भी गर तुमसे,
मेरी बात हुई,
समझो कि मेरे लिए,
आज रात हुई...

3899
ये रात हमसे बहुत,
प्यार करती हैं...
सबको सुलाकर हमसे,
अकेलेमें बात करती हैं...

3900
बेवज़ह परेशान हूँ रातमें,
मिलनेका वादा तो उसने,
कभी किया ही नहीं.......