3896
सोचता हूँ कि,
कुछ ऐसा लिख
दूँ...
जिसे पढ़कर वो रोऐं
भी ना...!
और रातभर
सोयें भी ना.......!
3897
कल रात मैने
अपने सारे ग़म,
कमरेकी दीवारपर लिख डाले;
बस फिर हम
सोते रहे और...
दीवारे रोती रहीं.......
3898
आज भी गर
तुमसे,
मेरी बात न
हुई,
समझो कि मेरे
लिए,
आज रात न
हुई...
3899
ये रात हमसे
बहुत,
प्यार करती हैं...
सबको सुलाकर
हमसे,
अकेलेमें बात
करती हैं...
3900
बेवज़ह परेशान हूँ रातमें,
मिलनेका वादा
तो उसने,
कभी
किया ही नहीं.......
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