17 February 2019

3931 - 3935 अंदाज़ लफ़्ज़ उम्मीद फ़िक्र मासूम खामोश दिल शायरी

 
3931
हमें भी आते हैं,
अंदाज़ दिल तोड़नेके...
हर दिलमें ख़ुदा बसता हैं,
यही सोचकर चुप हूँ.......

3932
लफ़्ज़ोंकी,
कमी हैं आजकल...
दिलकी मरम्मत,
चल रही हैं....... ।।

3933
मेरे इस दिलको,
तुम ही रख लो...
बड़ी फ़िक्र रहती हैं,
इसे तुम्हारी.......!

3934
किसीने पूछा,
दिलकी खूबी क्या हैं...?
हमने कहाँ,
हज़ारों ना मुक़म्मल उम्मीदोंके नीचे,
दबकर भी धड़कता हैं.......!

3935
कितनी मासूम होती हैं,
ये दिलकी धड़कनें...
कोई सुने ना सुने...
ये खामोश नहीं रहती.......!

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