3881
ख़्वाब, ख्याल, मोहब्बत...
हकीकत, गम और तन्हाई;
जरा सी उम्र
मेरी...
किस किस के
साथ गुजर गई.......
3882
जी तो करता
हैं,
कि उनके ख़्वाब
भी ना देखुँ...
पर क्या करूँ...
ये भी तो इक ख़्वाब ही हैं...!!!
3883
कभी तुम्हारी याद आती हैं,
तो कभी
तुम्हारे ख़्वाब आते हैं...
मुझे सतानेके तुम्हे,
तरीक़े तो बेहिसाब
आते हैं.......!
3884
हर कोई मुझे
जिंदगी जीनेका,
तरीका बताता हैं।
उन्हे कैसे समझाऊ
की,
एक ख़्वाब
अधुरा हैं मेरा...
वरना जीना तो
मुझे भी आता हैं...!
3885
देखकर आँखें
मेरी,
एक फकीर युँ
कहने लगा...
पलकोंपर बरखुदार,
ख़्वाबका वजन
कुछ कम कीजिये...
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