22 February 2019

3956 - 3960 मोहब्बत धड़कन जिस्म वक्त इश्क़ बरकत गिरवी अमीर मौजूद पल दिल शायरी


3956
जिस्म फिर भी,
थक हार कर सो जाता हैं...
दिलका भी कोई,
बिस्तर होना चाहिए...!!!

3957
तूम आऐ तो मेरे इश्क़में,
अब बरकत होने लगी हैं...
चुपचाप रहता था दिल मेरा,
अब हरकत  होने लगी हैं...!!!

3958
अपनी मौजूदगी तक,
भूल गया हूँ...
दिल तेरे पास गिरवी रखकर भी,
अमीर हो गया हूँ.......!!!

3959
मोहब्बत और मौतकी,
पसंद तो देखिए...
एकको दिल चाहिए, और...
दूसरेको धड़कन.......!!!

3960
दिल टूटा हैं,
सम्भलनेमें, कुछ वक्त तो लगेगा,
हर चीज़ इश्क़ तो नहीं...
कि एक पलमें हो जाये.......!!!

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