3906
"रात
ख़ामोशसी,
चुपचाप
हैं, पर...
शोर
तेरी यादोंका,
बेहिसाब हैं..."
3907
याद करेंगे तो,
दिनसे रात
हो जायेगी,
आईनेमें देखेंगे
तो,
हमसे बात हो
जायेगी !
शिकवा न करीये,
हमसे मिलनेका,
आँखे बंद करीये
तो...
हमसे मुलाकात हो जायेगी...!
3908
कल चौदहवींकी रात
थी,
शबभर
रहा चर्चा तेरा...
कुछने कहा
ये चाँद है,
कुछने कहा
चेहरा तेरा...!
3909
पर इतनी भी
ना,
बेसब्रीमें
झटसे गुजर
ऐ रात;
कुछ लम्हे तो जी
भरके,
जीने दे
मुझे मेरे यारके साथ.......
3910
रातके आखरी
पहर,
सन्नाटोंके बीच...
गूंजता हैं जो
तुम्हारे कानोमें,
जिसे तुम सुनकर...
अनसुना कर देते
हो,
वहीं हूँ मैं.......!
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