3901
मैं हर रात
सारी ख्वाहिशोंको,
खुदसे पहले
सुला देता हूँ...
हैरत यह कि
हर सुबह ये,
मुझसे पहले जाग
जाती हैं...!
3902
न दिनसे
रिश्ता हैं,
न रातसे
रिश्ता हैं;
हर शख्सका
इस दुनियामें...
हालातसे रिश्ता
हैं.......
3903
ना जाने किस
रैन बसेरेकी,
तलाश हैं इस
चाँदको;
रातभर बिना
कम्बल,
भटकता रहता हैं इन सर्द रातोंमें !
3904
हम तुझे कैसे
बताएँ,
तुझमें क्या क्या
बात हैं,
तू सुबह हैं,
दोपहर हैं,
शाम
भी हैं,
रात
हैं.......!
3905
जिंदगी बहोत खुबसुरत
होती,
अगर...
रात रात न
होती,
तुम्हारा
जिक्र ना होता,
और तुम्हारी
याद न होती...
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