16 February 2019

3926 - 3930 शमा महफ़िल नज़रअंदाज़ शिकवा फरियाद याद फ़र्ज़ याद क़रार आबाद दिल शायरी


3926
वो शमाकी महफ़िल ही क्या,
जिसमें दिल खाक ना हो...!
मज़ा तो तब हैं चाहतका,
जब दिल तो जले...
पर राख ना हो.......!

3927
"दिलमें तेरा एहसास,
अब भी लिये बैठें हैं;
तू ही नज़रअंदाज़ करे,
तो हम शिकवा किससे करें ?"

3928
दिलने कहा याद करते रहना,
मन ही मन बात करते रहना;
वो हमारे दिलकी फरियाद सुने ना सुने,
अपना तो फ़र्ज़ हैं उन्हे याद करते रहना...!

3929
काश दिलोंकी भी,
तलाशी संभव होती...
पता तो चलता किसके दिलमें,
कितने लोग आबाद हैं.......!

3930
ना पूछ दिलकी हक़ीक़त,
मगर ये कहता हैं,
कि वो बेक़रार रहे...
जिसने बेक़रार किया.......!

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