15 February 2019

3921 - 3925 मोहब्बत याद सुकून गम इलाज़ रूह तलब आँसु पत्थर आदत दीदार ख्वाहिश फुरसत दिल शायरी


3921
तुझे याद कर लूँ,
तो मिल जाता हैं सुकून दिलको;
मेरे गमोंका इलाज़ भी,
कितना सस्ता हैं.......!

3922
कोई रूहका तलबगार मिले,
तो हम भी मोहब्बत कर ले...
यहाँ दिल तो बहुत मिलते हैं,
बस कोई दिलसे नहीं मिलता...!

2923
तेरी यादमें आँसुओंका समंदर बना लिया,
तन्हाईके शहरमें अपना घर बना लिया;
सुना हैं लोग पूजते हैं पत्थरको,
इसलिए तुझसे जुदा होकर,
दिलको पत्थर बना लिया...!

3924
मेने तुझे अपनी आदत बनाई हैं,
और दिलने कहाँ,
अच्छी आदत बदलनी हीं चाहिए...

3925
आज दिलने तेरे दीदारकी,
ख्वाहिश रखी हैं...
मिले अगर फुरसत तो,
ख्वाबोमें जाना.......!

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