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7 February 2019

3881 - 3885 हिसाब जिंदगी याद ख्याल मोहब्बत गम तन्हाई आँखें पलक नींद रात ख़्वाब शायरी


3881
ख़्वाब, ख्याल, मोहब्बत...
हकीकत, गम और तन्हाई;
जरा सी उम्र मेरी...
किस किस के साथ गुजर गई.......

3882
जी तो करता हैं,
कि उनके ख़्वाब भी ना देखुँ...
पर क्या करूँ...
ये भी तो इक ख़्वाब ही हैं...!!!

3883
कभी तुम्हारी याद आती हैं,
तो कभी तुम्हारे ख़्वाब आते हैं...
मुझे सतानेके तुम्हे,
तरीक़े तो बेहिसाब आते हैं.......!

3884
हर कोई मुझे जिंदगी जीनेका,
तरीका बताता हैं
उन्हे कैसे समझाऊ की,
एक ख़्वाब अधुरा हैं मेरा...
वरना जीना तो मुझे भी आता हैं...!

3885
देखकर आँखें मेरी,
एक फकीर युँ कहने लगा...
पलकोंपर बरखुदार,
ख़्वाका वजन कुछ कम कीजिये...