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ना क़र सक़ो,
ऐसा क़ोई क़ाम मत क़रना...
ज़िस्मक़ी चाहतमें इश्क़क़ो,
बदनाम मत क़रना.......
8162चाहतने कुछ इस तरह,बर्बाद हमे क़िया...गलतीक़ी उन्होंने मगर,बदनाम हमें क़िया.......
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तुम ज़ाओ छोड़क़े,
तो क़ोई गम नहीं...
मैं तुम्हें बदनाम क़रु,
इतने बुरे भी हम नहीं...!
8164मेरे सच्चे प्यारक़ो,ठुक़राक़र वो चल दिए...बदनाम क़र मुझे,ज़िंदगीमें तबाही मचा गए...
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नाक़ाम हो गईं,
क़ोशिशें सारी मेरी...
बदनाम भी हो गई,
मोहब्बत मेरी.......