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5 June 2017

1367 फ़िक़र बेवजह रात यक़ीन चैन शायरी


1367
जिन्हें फ़िक़र थी कलकी,
बेवजह वो रोए रातभर...
जिन्हें यक़ी खुदापर
चैनसे वो सोए रातभर...!!!