Don't Limit yourself with Time,
The Concerts in the Dreams,
Ruling in the Soul and Breath,
The sense of Sleep and Dream...
Is just to meet the Poem,
Embed Fate in The Poem,
Mesmerising The Soul...
गुजरते वक्त की
फिर्याद न कर,
आज भी महफिले
सजती है ख्वाबोंमे,
रुह से निकलती
है कभी ...
कभी सांसोमे बसती है;
नींद तो इक
बहाना है,
महफिल को सजाना
है...
तकदीर से लिपटी
शायरी से
दिल को आज
लुभाना है...|
संदीप कदम