17 February 2017

978


अपने हसीन होठों को
किसी पर्दे मे छिपा लिया करो फ़राज़।
हम गुस्ताख लोग है
नजरों से चुम लिया करते है.......

977


काश वो आकर कहे
किसी दिन मोहोब्बत से फ़राज़।
ये बेसब्री कैसी...
तेरी ही हूँ मैं तसल्ली रख.......

976


भुला देंगे तुझे
जरा तो सब्र कर फ़राज़।
बसे हो इस कदर रुह मे
कुछ तो वक़्त लगेगा.......

15 February 2017

975 जिक्र शायरी


जिक्र तेरा हुआ तो,
हम महफ़िल छोड़ आये फ़राज़।
हमे ग़ैरों के लब पे...
तेरा नाम अच्छा नही लगता.......

974


ये दिल बुरा ही सही,
सरे बाज़ार तो ना कहो फ़राज़।
आखिर तुमने इस मकान मे...
कुछ दिन गुजारे भी थे.......

973


हजार दुआओं मे माँग कर भी,
वो हमारी ना हो सकी फ़राज़।
खुशनसीब ने बिना मांगे ही,
उन्हें अपना बना लिया.......

972


गलत सुना था की,
इश्क़ आँखों से होता है फ़राज़।
दिल तो वो भी ले जाते है...
जो पलके तक नही उठाते.......

971


अजीब कश्मकश सी होती है
मुहब्बत मे फ़राज़।
धड़कने संभलती नहीँ
और जान निकलती नहीँ.......

14 February 2017

970


दिल से चाहने वाला कभी जुदा नही होता,
जो होता है वो अपना नही होता,
किसी टूटे हुए तो नाता जोड़ो,
जो टूटे हुए दिल जोड़े...
उससे बड़ा खुदा नही होता l

969 महबूब खुदा कबूल शायरी


उसने महबूब ही तो बदला है,
फिर ताज्जुब कैसा …
दुआ कबूल ना हो तो लोग,
खुदा तक बदल लेते है !!!

968


खूबसूरत "चेहरे"
तो बहुत देखे इस दुनिया में मगर....
खूबसूरत "दिल"
तलाशने में उमर गुजर गयी...!!

967


खिल भी सकते है
ये मसले कुचले हुए फूल.....
शर्त यह है की
सीने से लगाना होगा ।।

966


दिल तो आज भी
सस्ते है साहब ...
दौलत तो जिस्मों
पर खर्च होती है…

965


खतों से मीलों सफर करते थे
जज़्बात कभी...
अब घंटों बातें करके भी
दिल नहीं मिलते…

964


हिम्मत इतनी थी कि
समुन्दर भी पार कर सकते थे,
मजबूर इतने हुए कि
दो बूँद आँसुओं ने डुबो दिया…

963


 "बनाने वाले ने दिल काँच का बनाया होता,
तोड़ने वाले के हाथ मे जखम तो आया होता…
जब बी देखता वो अपने हाथों को,
उसे हमारा ख़याल तो आया होता…"

962


"उनकी तस्वीर को सिने से लगा लेते हैं,
इस तरह जुदाई का गम मिटा देते हैं,
किसी तरह कभी उनका जिक्र हो जाये तो,
भींगी पलकों को हम झुका लेते हैं."

961


“दीवाने है तेरे नाम के
इस बात से इंकार नहीं
कैसे कहे कि तुमसे प्यार नहीं
कुछ तो कसूर है आपकी आखों का
हम अकेले तो गुनहगार नहीं ”

11 February 2017

960


रात हुई जब शाम के बाद,
तेरी याद आई हर बात के बाद,
हमने खामोश रहकर भी देखा,
तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद !

959


शाम होते ही
चराग़ों को बुझा देता हूँ…
दिल ही काफ़ी है
तेरी याद में जलने के लिए !