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9 March 2021

7246 - 7250 अजीज शुक्र फरेब फ़रिश्ते झोली दोस्त यार शायरी

 

7246
दोस्त या अजीज हैं,
खुदफरेबियोंके नाम...
आज आपके सिवा,
कोई आपका नहीं.......

7247
मेरी झोलीमें कुछ दोस्त,
और कुछ रिश्ते हैं...!
शुक्र मेरे मालिक.
उनमे कुछ फ़रिश्ते हैं...!!!

7248
हम आईना नहीं जो,
कमियाँ गिनायेंगें...
हम दोस्त हैं,
जो हर कमीको,
बड़ी खूबीसे निभायेंगें...!

7249
दरवाजेपर लिखा था,
कोई भीतर मत आना...
आज मैं दुखी हूँ,
पढ़े लिखे समझदार लोग,
वापस लौट गए...
भीतर वहीं गया जो दोस्त था...!

7250
अपना तो कोई दोस्त नहीं हैं,
सब साले कलेजेके टुकड़े हैं...!