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25 October 2018

3476 - 3480 इश्क़ तन्हाई किस्मत शर्त जुदाई लहर दवा सुकून शख्स फर्क ख़ामोश अहसास शायरी


3476
तुम्हे मालूम हैं...
"हम ये जुदाई सह नहीं सकते."
"और उसपें शर्त हैं कैसी,
के ये भी कह नही सकते..."
"हमारी किस्मत हैं...
बस उन समंदरके किनारोसी;"
"जो लहरोंमें तो डूबे हैं,
मगर संग बह नहीं सकते..."

3477
ना जाने कौनसी,
दवा हैं उसके पास...
कुछ पल साथ गुजार लूँ,
तो सुकूनसा मिलता हैं...

3478
हमारे चले जानेके बाद,
ये समंदरकी रेत तुमसे पूछेगी...
कहाँ गया वो शख्स,
जो तन्हाईमें आकर;
बस तेरा ही नाम...
लिखा करता था.......!

3479
ज़िन्दगीमें किसीका साथ काफी हैं,
हाथोंमें किसीका हाथ काफी हैं,
दूर हो या पास फर्क नहीं पड़ता...
प्यारका तो बस अहसास ही काफी हैं!

3480
इश्क़के चर्चे...
भले ही सारी दुनियामें होते होंगे;
पर दिल तो...
ख़ामोशीसे ही टूटते हैं.......