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18 March 2022

8381 - 8385 एहसास मुलाक़ात बातें रूह दिल इश्क़ मोहब्बत प्यास रूह शायरी

 

8381
एहसास क़रा देती हैं रूह,
ज़िनक़ी बातें नहीं होती...
इश्क़ वो भी क़रते हैं ज़िनक़ी,
मुलाक़ाते नहीं होती.......

8382
ज़ब रूहमें उतर ज़ाता हैं,
बेपनाह इश्क़क़ा समंदर...
लोग़ ज़िंदा तो होते हैं मग़र,
क़िसी औरक़े अंदर.......

8383
वो रूह भी आसमानी होती हैं,
ज़िस दिलमें मोहब्बत होती हैं ll

8384
इश्क़ वो ख़ेल नहीं,
ज़ो छोटे दिलवाले ख़ेलें l
रूहतक़ काँप ज़ाती हैं,
सदमे सहते-सहते ll

8385
उसने मुझसे पूछा,
मोहब्बतक़ी क़श्मक़श क़्या हैं...
मैने क़हा बाहोंमें समंदर,
और रूह प्यासी.......!