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8 June 2016

229 कमा दौड यार दुनियाँ रोटी शायरी


229

रोटी, Bread

ये रोटी भी दुनियाँको,
नचा रहीं हैं यारो.......
कोई इसे कमानेको दौडता हैं,
कोई पचानेको दौड़ता हैं !

This Bread is making people,
Leap and Cavort.......
Someone Runs for Bread,
Other Runs to Digest !