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25 April 2020

5776 - 5780 क़िस्मत वहम मौत दुख ज़हर दर्द दवा शायरी


5776
दर्द हो तो,
दवा भी मुमकिन हैं...
वहमकी क्या,
दवा करे कोई...?
               यगाना चंगेज़ी

5777
दर्द हो तो,
दवा करे कोई...
मौत ही हो तो,
क्या करे कोई...?
रियाज़ ख़ैराबादी

5778
दर्द हो, दुख हो,
तो दवा कीजे;
फट पड़े आसमाँ,
तो क्या कीजे...?
             जिगर बरेलवी

5779
मौत ही आपके बीमारकी.
क़िस्मतमें थी...
वर्ना कब ज़हरका मुमकिन था,
दवा हो जाना.......!
अहसन मारहरवी

5780
बीमारको मरज़की,
दवा देनी चाहिए...!
मैं पीना चाहता हूँ,
पिला देनी चाहिए...!!!
                  राहत इंदौरी