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21 April 2017

1237 कांटे फूल जिंदगी कबूल शायरी


अपनी जिंदगीके अलग असूल हैं,
यारकी खातिर तो कांटे भी कबूल हैं,
हंसकर चल दूं कांचके टुकड़ोंपर भी,
अगर यार कहे, यह मेरे बिछाए हुए फूल हैं !