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10 February 2022

8206 - 8210 गली शब नाम इश्क़ प्यार वफ़ा दामान शाम सुक़ून रुसवा निलाम बदनाम शायरी

 

8206
चलेंगे उस गली शाम होने दो,
क़ोई शब मेरे नाम होने दो,
क़र लूंगा बदनाम मैं ख़ुदक़ो,
बस मेरा ज़रा नाम होने दो ll

8207
बहुत सुक़ून पाती हूँ,
तेरे सीनेसे लगक़र...
यह बात लोग़ोंमें बताक़र,
मुझे रुसवा क़र.......

8208
तेरा इश्क़ ज़ी सक़ी,
पर तेरे नामसे,
बदनाम हो गई.......!

8209
कुछ ऐसा क़ाम क़र दे,
प्यार सही...
बदनाम ही क़र दे.......!

8210
दामाने वफ़ाक़ो,
बदनाम ना क़र...
क़रना है गर तो,
मुझक़ो निलाम क़र...
                    अफ़शा नाज़