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30 November 2019

5106 - 5110 जिंदगी ख़्याल रिश्ता तस्वीर अंदाज़ लफ्ज बेइंतहा मोहब्बत नाराज परवाह शायरी


5106
एक परवाह ही बताती है कि,
ख़्याल कितना है;
वरना कोई तराजू नहीं होता,
रिश्तोमें.......

5107
हम भी मुस्कुराते थे कभी,
बेपरवाह अंदाज़में...
देखा है खुदको आज,
एक पुरानी तस्वीरमें...!

5108
मेरे लफ्जोंको,
वो तासीर दे, खुदा...
लोग वाह-वाह ना करें,
पर परवाह करे.......

5109
उजड़ जाते हैं,
सिरसे पाँव तक वो लोग;
जो किसी बेपरवाहसे,
बेइंतहा मोहब्बत करते हैं...

5110
उनसे क्या नाराजगी रखना जिंदगी...
जिन्हें तुम्हारी परवाह तक भी नहीं.......