1706
दो अक्षरकी मौत और,
तीन अक्षरके जीवनमें ...
ढाई अक्षरका दोस्त,
हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं.......
1707
मुझे "बेपनाह मोहब्बतके सिवा कुछ नहीं आता"
चाहो तो मेरी "साँसोंकी तलाशी ले लो...!!!
1708
काश... तू समझ सकती,
मोहब्बतके उसूलोंको,
किसीकी साँसोमें समाकर,
उसे तन्हा नहीं करते ।
1709
काश कैद कर ले वो पागल,
मुझे अपनी डायरीमें,
जिसका नाम छुपा रहता हैं
मेरी हर एक शायरीमें !!!
1710
जाने क्यूँ अधूरीसी,
लगती हैं जिंदगी,
जैसे खुदको किसीके,
पास भूल आये हो...