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9 February 2017

947 जीना सब कुछ शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


947
जी चुके हैं उनके लिये,
जो मेरे लिये सब कुछ थे...
अब जीना हैं उनके लिये,
जिनके लिये मैं सब कुछ हूँ...