2581
ये जो तुम्हारी
याद हैं ना...
बस यहीं एक
मेरी जायदाद हैं...!
2582
नसीब आजमानेके दिन
आ रहे हैं,
करीब तेरे आनेके दिन आ
रहे हैं...
2583
मोहब्बतें
अधूरी रह जाती
हैं...!
तभी तो शायरियाँ
पूरी होती हैं...!!!
2584
रिश्ते काँचकी
तरह होते हैं,
टूटे जाए तो
चुभते हैं;
इन्हे संभालकर हथेलीपर
सजना,
क्योकि इन्हे टूटनेमें एक पल,
और बनानेमें बरसो
लग जाते हैं...!
2585
ठोक़र ख़ाक़र भी,
ना सम्भले तो मुसाफ़िरक़ा नसीब....
पत्थरोंने तो अपना,
फ़र्ज़ निभा हीं दिया था.....।।