Showing posts with label तजुर्बा काफी बयाँ इश्क़ दोबारा शायरी. Show all posts
Showing posts with label तजुर्बा काफी बयाँ इश्क़ दोबारा शायरी. Show all posts

8 March 2017

1060 तजुर्बा काफी बयाँ इश्क़ दोबारा शायरी


1060
तजुर्बा एक ही काफी हैं,
बयाँ करनेके लिये;
मैने देखा ही नहीं ,
इश्क़ दोबारा करके