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21 November 2018

3556 - 3560 तन्हाई मोहब्बत मतलब काबिल यादे अन्जान पल यार तनहा शायरी


3556
तन्हाईसे तंग आकर,
हम मोहब्बतकी तलाशमें निकले थे;
लेकिन मोहब्बत भी ऐसी मिली की,
और तनहा कर गयी...!

3557
मतलब कि दुनिया थी,
इसलिए छोड़ दिया सबसे मिलना...
वरना ये छोटीसी उम्र,
तनहाईके काबिल तो ना थी.......

3558
अपनी तमाम यादे,
मुझतक छोड़ गये...
तुम तो ठीकसे,
मुझे तनहा भी कर सके...!

3559
कैसी मुहब्बत हैं तेरी...
महफ़िलमें मिले तो,
"अन्जान" कह दिया l
तनहा ज़ो मिले तो,
"जान" कह दिया ll

3560
रात मेरी तनहाई देखकर...
मुझपर मत हंस इतना,
वरना जिस दिन मेरा यार मेरे साथ होगा,
तू पलमें गुज़र जायेगी.......!

3551 - 3555 प्यार पल ख्वाब सिलसिला आलम एहसास तन्हाई सिलसिला हुस्न आगोश हसरत तनहा शायरी


3551
अकेले तो हम,
पहले भी जी रहे थे;
ना जाने फिर क्यूँ,
तनहासे हो गए तुम्हारे जानेके बाद...!

3552
एक पलका एहसास बनकर आते हो तुम,
दुसरे ही पल ख्वाब बनकर उड़ जाते हो तुम,
जानते हो की लगता हैं डर तन्हाइयोंसे,
फिर भी बार बार तनहा छोड़ जाते हो तुम...।

3553
आ तुझे बाहों में भरके प्यार करुं मैं,
मिट जाने दो दोनोकी तनहाईका ये सिलसिला;
इस रातके आलममें मेरा इश्क जानेजा,
तेरे हुस्नके आगोशमें खोनेको हैं चला...
3554
माना की दूरियाँ,
कुछ बढ़सी गयीं हैं...
लेकिन तेरे हिस्सेका वक़्त,
आज भी तनहा गुजरता हैं...!

3555
अब तो हसरत ही नहीं,
किसीसे वफा पानेकी...
दिल इस कदर टूटा हैं की,
अब सिर्फ तनहायी अच्छी लगती हैं...!