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30 October 2018

3486 - 3490 दिल इश्क ज़िन्दगी नकाब दुनिया आँख निगाह तकलीफ आवाज़ इज़हार इकरार शायरी


3486
वो कहने लगी,
नकाबमें भी पहचान लेते हो,
हजारोंके बीच...
मैने मुस्कराके कहा,
तेरी आँखोंसे ही शुरू हुआ था,
इश्क हज़ारोंके बीच.......!

3487
कई लोग मिलेंगे इस दुनियामें,
मगर कोई कोई दिलके पास होगा;
एक ऐसा भी आयेगा ज़िन्दगीमें,
जो सारी दुनियासे ख़ास होगा !

3488
हम भी जी सकते थे,
अगर...
मरते ना... " तुमपर ".......

3489
हमने भी जिदंगीका कारवाँ,
आसां कर दिया...
जो तकलीफ देते थे,
उन्हें रिहा कर दिया.......


3490
दिलकी आवाज़को इज़हार कहते हैं,
झुकी निगाहको इकरार कहते हैं;
सिर्फ पानेका नाम इश्क नहीं,
कुछ खोनेको भी प्यार कहते हैं...