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19 December 2016

855 दिल ज़िंदगी हिसाब संभल उदास खुशियाँ अज़ाब शायरी


855

अज़ाबpunishments

टूटे दिलको संभलनेकी,
आस क्या रखिये...
कितना खोया ज़िंदगीमें,
हिसाब क्या रखिये...
अगर बांटनी हैं,
तो खुशियाँ बांटो दोस्तोंसे...
अपने अज़ाब अपने हैं,
सबको उदास क्या रखिये...!

To heal a broken heart,
What to expect...
How much has been lost in life,
What should I keep track of...
If you want to share,
So share happiness with your friends...
Your punishments are your own,
Why keep everyone sad...!