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कुछ कह दो झूठ ही कि,
तवक़्क़ो बंधी रहे...
तोड़ो न आसरा,
दिल-ए-उम्मीद-वारका...
7097चाहे सोनेके चौखटमें जड़ दो,आईना झूठ बोलता ही नहीं...!!
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तुम मेरे साथ हो,
ये सच तो नहीं हैं लेकिन...
मैं अगर झूठ न बोलूँ तो,
अकेला हो जाऊँ.......
7099झूठपर उसके,भरोसा कर लिया;धूप इतनी थी कि,साया कर लिया llशारिक़ कैफ़ी
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हम समझदार भी इतने हैं कि,
उनका झूठ पकड लेते हैं...!
और उनके दीवाने
भी इतने हैं,
फिर भी यकीन कर लेते हैं...!!!
फिर भी यकीन कर लेते हैं...!!!