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4 March 2021

7226 - 7230 दिल प्यार गुरुर मजबूर ग़म आँसू इंतज़ार दोस्त यार शायरी

 

7226
कितनी नन्हीसी परिभाषा हैं,
दोस्तीकी...
मैं शब्द,
तुम अर्थ...!
तुम बिन मैं व्यर्थ...!!!

7227
दिल प्यारमें बेक़रारभी होता हैं,
दोस्तीमें थोड़ा इंतज़ारभी होता हैं;
होती नहीं प्यारमें दोस्ती पर,
दोस्तीमें शामिल प्यार भी होता हैं...

7228
हम खुदपें गुरुर नहीं करते,
किसीको दोस्ती करनेपर, मजबूर नहीं करते...
मगर जिसे एक बार दिलमें बसा लें,
उसे मरते दम तक दिलसे दूर नहीं करते...ll

7229
मेरे आँसू उठा लेते हैं,
मेरे ग़मोंका बोझ;
ये वो दोस्त हैं जो,
अहसान जताया नहीं करते...!

7230
उसने एक हि बार कहा,
दोस्त हूँ...
फिर मैने कभी नहीं कहा,
व्यस्त हूँ.......