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15 June 2017

1397 दिल प्यार बोल हक़ छीन खामोशि घर पता शायरी


1397
वो मेरे बोलनेका हक़ छीन सकते हो...
मेरी खामोशियोंका नहीं...
सोचा था उनको प्यार लुटाकर,
उनके दिलमें घर बनायेंगे l
हमे क्या पता था दिल देकर भी,
हम बेघर रह जाएँगे...!