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4 February 2018

2301 - 2305 दुनियाँ अजीब मुलाकात मतलब ज़रूरत खूबसरत आँख आँसू तमन्ना याद अदा गम शायरी


2301
बडी अजीब मुलाकातें होती थी हमारी...
वो किसी मतलबसे मिलते थे और
हमे तो सिर्फ मिलनेसे मतलब था.....

2302
हसरत हैं सिर्फ़ तुम्हे पानेकी,
और कोई ख्वाईश नहीं इस दीवानेकी,
शिकवा मुझे तुमसे नहीं खुदासे हैं,
क्या ज़रूरत थी तुम्हे इतना खूबसरत बनानेकी...

2303
एक दिन जब हम दुनियाँसे चले जाएंगे,
मत सोचना आपको भुल जाएंगे,
बस एक बार आसमानकी तरफ देख लेना,
मेरे आँसू बारीश बनके बरस जाएंगे...

2304
यह आरजू नहीं कि
किसीको भुलाएं हम,
न तमन्ना हैं कि
किसीको रुलाएं हम,
दुवा तो बस इतनीसी हैं के
जिसको जितना याद करते हैं,
उसे भी उतना याद आयें हम !

2305
यादोंमें हमारी वो भी खोये होंगे,
खुली आँखोंसे कभी वो भी सोये होंगे,
माना हसना हैं अदा गम छुपानेकी,
पर हसते हसते कभी वो भी रोए होंगे...