Showing posts with label नज़र बात तौफ़ीक़ गुनाह हमनशीं डर याद इनकार इक़रार इश्क़ शायरी. Show all posts
Showing posts with label नज़र बात तौफ़ीक़ गुनाह हमनशीं डर याद इनकार इक़रार इश्क़ शायरी. Show all posts

19 September 2019

4751 - 4755 नज़र बात तौफ़ीक़ गुनाह हमनशीं डर याद इनकार इक़रार इश्क़ शायरी


4751
तुझको हर बार,
नई नज़रसे देखा मैने...
मुझको हर बार,
नया इश्क़ हुआ हैं तुझसे...!

4752
कोई समझे,
तो एक बात कहूँ...
इश्क़ तौफ़ीक़ हैं,
गुनाह नहीं.......!

4753
इसी फनकारी पर,
मरते हैं.......
इश्क़ ना हो जाये तुमसे हमनशीं,
कसमसे बहोत डरते हैं...!

4754
इश्क़की हद भले ही,
तुम तय कर लो;
पर मेरे लिये तुम्हे याद करनेकी,
कोई हद नहीं.......!

4755
इनकारकी सी लज़्ज़त,
इक़रारमें कहाँ...
होता हैं इश्क़ ग़ालिब,
उनकी नहीं नहीं से...!
                       मीर तक़ी मीर