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6 August 2018

3121 - 3125 प्यार ज़िन्दगी सफ़र शिकायत दर्द धडकने कतारें रूमाल हसरतें ‪हुनर उलझन बेवफा शायरी


3121
यूँ तो  ज़िन्दगी,
तेरे सफ़रसे शिकायतें बहुत थीं
मगर...
जब दर्द दर्ज कराने पहुंचे,
तो कतारें बहुत थीं.......!

3122
मुस्कुराती जेबोंमें अक्सर,
गिले रूमाल मिलते हैं...
हसरतेंछुपानेके हुनर उनमें,
कमाल मिलते हैं.......!

3123
बहूत प्यारसे पेश रही हैं,
ज़िन्दगी आजकल हमसे...
लगता हैं फिर कोई नया दर्द,
मिलने वाला हैं ज़िन्दगीमें.......!

3124
बडी उलझनमें थे,
धडकने थम क्यूँ जाती हैं;
आपने सिनेसे लगाया,
तो बात समझ आयी...

3125
जाने लोग हमे,
बेवफा क्यूँ कहेते हैं;
हम तो आज भी,
उनकी परछाईसे प्यार करते हैं...!