Showing posts with label प्रेम रिश्ते मासूमियत दिल ग़लतफ़हमी आँखे फितरत मज़बूर समझ शायरी. Show all posts
Showing posts with label प्रेम रिश्ते मासूमियत दिल ग़लतफ़हमी आँखे फितरत मज़बूर समझ शायरी. Show all posts

25 November 2019

5081 - 5085 प्रेम रिश्ते मासूमियत दिल ग़लतफ़हमी आँखे फितरत मज़बूर समझ शायरी


5081
रिश्तेका नूर,
मासूमियतसे हैं...
ज्यादा समझदारियोंमें,
रिश्ते घटने लगतें हैं...!

5082
दिलोंमें बस गये,
जबसे ग़लतफ़हमीके कुछ साये...
ना हम उनको समझ पाये,
ना वो हमको समझ पाये.......

5083
अच्छा सुनो ना.......
जरूरी नही हर बार शब्द ही हो !
कभी ऐसा भी हो,
कि मैं सोचूं...
और तुम समझके वैसा करो...!

5084
आँखे एक ही भाषा,
समझती है प्रेमकी...
मिले तो भी छलकती हैं,
मिले तो भी.......!

5085
मैं दिया हूँ...
मेरी फितरत हैं उजाला करना !
और वो समझते हैं,
मज़बूर हूँ जलनेके लिये.......!