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8 June 2017

1385 मनुष्य ख़्वाहिश पहचान साथ डर शायरी

1385
मनुष्यकी ख़्वाहिश होती हैं,
उसे सब "पहचाने"......
साथमें उसे डर सताता हैं कि,
कोई उसे सहीमें "पहचान" न ले ।।