Showing posts with label मुआवज़े तबाह भीतर याद बारिश शायरी. Show all posts
Showing posts with label मुआवज़े तबाह भीतर याद बारिश शायरी. Show all posts

27 November 2016

790 मुआवज़े तबाह भीतर याद बारिश शायरी


790

Muaavaze, Compensation

हमने भी मुआवज़ेकी,
अर्जी डाली हैं साहिब...
उनकी यादोंकी बारिशने,
खूब तबाह किया हैं भीतरतक...!

I have also Submitted 
Compensation Application Man,
Her Shower of Memories
has Destroyed Deeply...!

789 मुआवज़े तबाह भीतर याद बारिश शायरी


789

Roohaanee, Divine

खामोशीमें जीनेका लुफ्त,
वही उठा सकता हैं...
जो फना हो चुका हो ,
रुहानी इश्कमें...

Pleasure of Living in Silence
The one can Bare...
Who is Destroyed
In Divine Love...