27 November 2016

789 मुआवज़े तबाह भीतर याद बारिश शायरी


789

Roohaanee, Divine

खामोशीमें जीनेका लुफ्त,
वही उठा सकता हैं...
जो फना हो चुका हो ,
रुहानी इश्कमें...

Pleasure of Living in Silence
The one can Bare...
Who is Destroyed
In Divine Love...

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