6 November 2016

701 सूख जिस्म झुक बोझ धोखा ठहर सजदे शायरी


701

Sajda, Immobilize

ये सारा जिस्म झुककर बोझसे दुहरा हुआ होगा,
मैं सजदेमें नहीं था आपको धोखा हुआ होगा,
यहाँ तक आते-आते सूख जाती हैं कई नदियाँ,
मुझे मालूम हैं पानी कहाँ ठहरा हुआ होगा !

The whole bold would have folded in two by Leaning,
I was Immobilize You would have been mislead
Rivers gets dried up till the time they reach here
I know where the Water is Stuck up !!

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