7 November 2016

712 हवा सियासते राख भड़का चिराग बुझ शायरी


712

Siyasat, Politics

हवाओंकी भी,
अपनी-अपनी सियासते हैं,
कहीं राखको भड़का देते हैं,
कहीं जलते चिराग बुझा देते हैं...
Wind also has,
Its own Politics,
Sometimes Flares the Ash,
Somewhere Extinguishes the Lamp... 

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