3 November 2016

694 गज़ल रूप गुनगुनाए ढल उदास लम्हें शायरी


694

Lamhe, Moments

गज़लके रूपमें,
काश मैं भी ढल जाऊ कभी...
उदास लम्होंमें शायद,
तु गुनगुनाए मुझे भी...

In the Form of Poem,
I wish I would sink in sometimes...
Perhaps in the Sad Moments,
You hum me too...

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