6 November 2016

705 उजाले चिराग बुझ आशियाने शिकायत अँधेरे याद शायरी


705

Chirag, Lamp

मैं तो चिराग हुँ तेरे आशियानेका,
कभी ना कभी तो बुझ जाऊंगा,
आज शिकायत हैं तुझे मेरे उजालेसे,
कल अँधेरेमें बहुत याद आऊंगा...
I am a Lamp of your House,
At some time i shall be Extinguished,
Today you have complaint of my Light,
Tomorrow I will be Remembered in Darkness...

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