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28 April 2017

1263 मोहब्बत इश्क अलफाज खुबसूरत इशारा पहचान पत्थर ताज महल शायरी


1263

ताज महल, Taj Mahal

इशारोंमें होती मोहब्बत अगर,
इन अलफाजोंको खुबसूरती कौन देता ?
बस पत्थर बनके रह जाता ‘ताज महल’,
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता...

If love exists in gestures,
Who gives beauty to these words?
'Taj Mahal' would have remained just a stone,
If love doesn't give it its identity...