Showing posts with label मोहब्बत कश्ती सफ़र नजरे डूब शायरी. Show all posts
Showing posts with label मोहब्बत कश्ती सफ़र नजरे डूब शायरी. Show all posts

14 April 2017

1206 मोहब्बत कश्ती सफ़र नजरे डूब शायरी


1206
तुम्हीने सफ़र करवाया था,
मोहब्बतकी कश्तीपें...
अब नजरे ना फ़ेर,
मुझे डूबता हुआ भी देखले...!

13 April 2017

1205 मोहब्बत कश्ती सफ़र नजरे डूब शायरी हैं हीं हां में मैं पें याँ आँ हूँ हाँ हें


1205
रातकी गहराई आँखोंमें उतर आई,
कुछ ख्वाब थे और कुछ मेरी तन्हाई,
ये जो पलकोंसे बह रहे हैं हल्के हल्के,
कुछ तो मजबूरी थी कुछ तेरी बेवफाई l