14 April 2017

1206 मोहब्बत कश्ती सफ़र नजरे डूब शायरी


1206
तुम्हीने सफ़र करवाया था,
मोहब्बतकी कश्तीपें...
अब नजरे ना फ़ेर,
मुझे डूबता हुआ भी देखले...!

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